आत्मज्ञान से होती है शक्ति की अनुभूति
त्रिपुरी शोध पीठ की सर्वम् शक्तिमयम् पर त्रि-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में जुड़े देश-विदेश के विद्वान
जबलपुर। शक्ति, चेतना, ऊर्जा जैसे अनेक पर्यावाची शब्दों को अपने में समाहित करने वाली ज्योति पुंज का अनुभव हम ज्ञान से प्राप्त कर सकते है। वेदों से लेकर उपनिषद,पुराण एवं ऋषि-मुनियों कृत भाष्य में इसकी स्पष्ट व्याख्या की गई है। उक्ताशय के उद्गगार त्रिपुरी शोध पीठ द्वारा आयोजित प्रथम अंर्तराष्ट्रीय काँफ्रेंस में सम्मिलित हुये देश-विदेश के दार्शनिक, अध्येता, विचारक और प्रोफेसर्स ने व्यक्त किये। आभासी पटल पर 10 से 22 अप्रैल तक दोपहर 01बजे से आयोजित इस काँफ्रेंस में श्याम लाल कॉलेज,दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य सस्थाओं का सहभाग रहा। भगवती आराधना के नवरात्र पर्व के मौके पर आरंभ हुई इस काँफ्रेंस के लिये द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी ,वैल्लूर मठ मैसूर के दण्डी स्वामी शंकर भारती तीर्थ, रामकृष्ण मिशन कश्मीर के यज्ञधरानंद जी व अन्य संतों के साथ मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी की शुभकामनायें प्राप्त हुई। | मंगलाचरण व देवी स्तुति के साथ प्रारंभ हुई इस काँफ्रेंस के प्रथम दिन त्रिपुरी शोध पीठ के अध्यक्ष नितिन पटेल ने पीठ की स्थापना और कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन किया| तत्पश्चात, चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन के ब्रम्हचारी वेद चैतन्य जी, विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की पदमश्री निवेदिता आर. भिड़े ,सुश्री अमी गणात्रा, प्रो. राम बहादुर शुक्ल,श्याम लाल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रबी नारायण कर. प्रोफेसर कुशा तिवारी निदेशक सरस्वती आई.के.एस. सेंटर श्याम लाल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, इस अवसर पर कांफ्रेंस के संरक्षक आचार्य श्री अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी जी का अध्यक्षीय उद्भोदन प्राप्त हुआ| आकाश कुमार सोनी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए शक्ति के विविध रूप एवं उनके मानवीय पहलू पर प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन निरंद सिंह ठाकुर 'नीर' तथा आभार प्रदर्शन डॉ. रोमशा शुक्ला, श्याम लाल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने किया|द्वितीय दिवस में स्वामी श्यामानंद महाराज , सुश्री निहारिका श्रीवास्तव, सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया, साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर अल्केश चतुर्वेदी के साथ अध्यक्षीय उद्बोधन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व पूर्व कुलपति वर्धा विश्वविद्यालय रजनीश शुक्ल का प्राप्त हुआ। वक्ताओं ने वेदोक्त शक्ति के स्वरूप का सरल सहज विवेचन प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन डॉ. अतुल दुबे ने व आभार प्रदर्शन नेहा दबे ने किया| काँफ्रेंस के तृतीय दिवस 12 अप्रैल को विद्वान वक्ताओं में गुजरात विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रोफेसर नीरजा ए. गुप्ता, इंजीनियर इशिता धोपेश्वर, सैन जोस, कैलिफ़ोर्निया, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल के आचार्य गोविंद शरण उपाध्याय , पूर्व आई. ए. एस.,विचारक, चिंतक मनोज श्रीवास्तव , मगध विश्वविद्यालय, बिहार के प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह, प्रोफेसर आनंद सिंह राणा, डॉ. वी. एस. कांची, प्रो. अखिलेश शर्मा, डॉ. लोकेश चौधरी के विभिन्न संदर्भों के साथ भगवती आराधना के वास्तविक स्वरूप उसके विश्व, लोक कल्याण के परिपेक्ष्य, पाश्चात्य दार्शनिकों के मत आदि पर सारगर्भित उद्भोदन प्राप्त हुए । अध्यक्षीय उद्भोदन हमीदिया कॉलेज, भोपाल के प्रोफेसर जे. एस. दुबे के पश्चात् 28 शोधार्थियों द्वारा शोध पत्रों का वाचन भी किया गया | इस सत्र का संचालन डॉ. दिलीप सिंह हजारी व आभार प्रदर्शन डॉ. विनय तिवारी ने किया| इस अवसर डॉ. निपुण सिलावट, काँफ्रेंस कोआर्डिनेटर सृजनेश सिलाकरी, निखिल शर्मा, डॉ. धीरेंद्र कुमार त्रिपाठी, डॉ. अर्जुन शुक्ला, डॉ. श्वेता नेमा, इंडियन टेक कारपोरेशन, नर्मदा सन्देश, सिद्धत्व फाउंडेशन और जबलपुर नवरात्री संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।उल्लेखनीय है कि त्रिपुरी शोध पीठ का यह अभिनव एवं प्रथम आयोजन था । शोध पीठ का लक्ष्य है कि शक्ति आराधना मात्र सैद्धांतिक, औपचारिक न होकर जनमानस के जागरूकता और कल्याण का माध्यम बने। लोक व विश्वकल्याण की भावना से शक्ति का संचार समाज के सभी वर्गों में समान रूप से हो। त्रिपुरी शोध पीठ शीघ्र ही कार्ययोजना बनाकर इस विषय पर अपना व्यवहारिक कार्य प्रारंभ करने वाला है।